प्रियंका गांधी वाड्रा की जन्म कुण्डली का विवेचन


पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी और श्रीमती सोनिया गांधी की सुपुत्री प्रियंका गांधी का जन्म
12 जनवरी 1972 को 13.59 बजे दिल्ली में हुआ था। 
प्रियंका इंदिरा गांधी की पोती हैं जो उनकी आला विरासत को बयान करता है।

ज्योतिष अनुसार इनका जन्म अनुराधा नक्षत्र में हुआ था, जिसके स्वामी शनि है राशि है वृश्चिक जिसके स्वामी मंंगल है।  दशम भाव में लग्नेश  शुक्र कुंभ राशि में स्थित है। शनि और शुक्र के मध्य एक ग्रह परिवर्तन राज योग बना हुआ है जो बहुत ही उम्दा है। जब भी कभी लग्र और दशम भाव के मध्य स्थान परिवर्तन योग होता है और वह दोनों ग्रह मित्र या कारक हो तो यह एक उच्चकोटि का राजयोग होता है। पण्डित दयानन्द शास्त्री बताते हैं कि लग्र का संबंध व्यक्तित्व से होता है और दशम भाव का राज्य से। शुक्र यहां पर लग्नेश है और शनि कारक। इसका सीधा-सा अर्थ है कि प्रियंका गांधी के इन दोनों ग्रह उन्हें कोने से निकाल कर सत्ता के मध्य में खड़ा कर दिया हें।

उनकी जन्माकालिक वृश्चिक राशि है। जन्म के समय लग्नाधिपति बुध की केंद्रवर्ती अवस्था एवं बृहस्पति की युति, नवमांश में बुध की स्वग्रही अवस्था, इन्हें राजनीति की दुनिया में अत्यंत लोकप्रियता प्रदान करने वाली है। पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार प्रियंका गांधी के जन्म के समय जनता से मिलने वाले सहयोग एवं प्रेम का अधिपति जहां बुध है, वहीं राजनीतिक सफलता के लिए आवश्यक पंचमाधिपति की अपने घर से पंचम अवस्था यहां प्रचंड रूप से जनता का समर्थन प्राप्त करने वाला सिद्ध होगा। वहीं आर्थिक एवं पारिवारिक ताकत की बात करें, जो कि जन्म से ही उन्हें प्राप्त है, उसे दशमेश पराक्रमेश एवं लग्नेश की केंद्रवर्ती युति आगे बढ़ाने वाली कही जायेगी। उनका उच्च का स्वामी बुध मजबूत स्थिति में है। इसी ने उन्हें तीव्र बुद्धि वाली महिला बनाया है। रॉबर्ट वाड्रा के साथ उनके प्रेम विवाह का योग उनकी जन्म कुंडली में साफ देखा जा सकता है। उनकी कुंडली के मुताबिक, 2003 से 20 साल के लिए प्रियंका शुक्र की दशा से गुजर रही हैं और यह उनके जीवन का सबसे अच्छा समय रहेगा। 21वीं सदी में वे जीवन का नया मुकाम देखेंगी।

कृष्ण पक्ष की एकादशी को जन्म लेने वाली प्रियंका गांधी का गुरु स्वराशि होकर सूर्य एवं बुध के साथ धनु राशि में बैठा है।

कुंडली में 10वें घर में बैठा मंगल उनकी कुंडली की खासियत है। विश्व के अनेक सेनाध्यक्षों की कुंडली में यही योग रहा है क्योंकि मंगल सैन्य बल और युद्ध क्षेत्र से सीधा संबंध रखता है लेकिन प्रियंका की कुंडली के मामले में इसने उन्हें कुलदीपक के समान ओज प्रदान की है।

शुक्र शनि की राशि कुंभ एवं शनि, शुक्र की राशि वृषभ में स्थित है, जो आकर्षक व्यक्तित्व प्रदान करता है।     मंगल मित्र मीन राशि में एवं राहु मित्र मकर राशि में है। केतु कर्क राशि में है।  नवांश कुंडली में सूर्य मंगल की युति एवं गुरु शुक्र की पूर्ण दृष्टि है।  उनका शुक्र मित्र शनि की राशि में  है। भाग्य स्थान में बलवान राहू भी भाग्य को आसानी से पूरी तरह से प्रकट नहीं होने देता। यह एक अलग किस्म की रहस्यमता यहां देखने को मिलती है। अगर लग्रेश व दशमेश सशक्त हो तो राहू प्रबल भाग्य प्रदान करता है। नवम भाव में राहू अगर अच्छा हो तो दो प्रकार के परिणाम देता है अगर खराब हो तो फिर भाग्य में अक्सर बाधाएं प्रस्तुत करता है।

ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि वर्तमान में प्रियंका गांधी को वर्तमान में उनकी ग्रह दशानुसार शुक्र की महादशा में राहु का अंतर चल रहा है।  शुक्र दशम भाव में और बृहस्पति अष्टम भाव में बैठ कर एक-दूसरे के साथ अच्छा संयोग बना रहे हैं।

आम चुनाव से ठीक दो महीने पहले कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह प्रियंका गांधी को महासचिव बनाकर मास्टर स्ट्रोक खेला है, उससे क्या सत्ता पक्ष और क्या विपक्ष सभी हैरान हैं। विधिवत तरीके से राजनीति में पदार्पण करने वाली प्रियंका गांधी को लेकर कांग्रेस पार्टी का मानना है कि वह उनका तुरुप का पत्ता साबित होंगी और कांग्रेस के खोई प्रतिष्ठा को वापस दिलाएंगी। आज जब उन्होंने अपनी सक्रिय राजनीति में औपचारिक प्रवेश कर महासचिव का पद ग्रहण किया हें उस दिन चंद्र सिंह राशि में था। जो वृश्चिक से दशम होता है। इस आधार पर आने वाले समय प्रियंका गांधी बाढरा देश की राजनीति में बड़े बदलाव का कारण बनेंगी शनि जन्मकुंडली भाग्याधिपति होने के कारण उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के खोए हुए जनाधार को निश्चित रूप से वापसी की ओर ले जायेगा। अर्थात् यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि कांग्रेस आई के लिए प्रियंका गांधी का राजनीतिक प्रवेश अवश्य लाभकारी सिद्ध होगा। परंतु इन्हें गंभीर रूप से राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का सामना भी करना पड़ेगा।
जन्म कुंडली के मुताबिक, प्रियंका के राजनीति में आने की संभावना बहुत कम थी, लेकिन यह भी तय है कि एक बार जब उन्होंने सियासत में कदम रख लिया तो पीछे मुडकर नहीं देखेंगी। लोग उन्हें अगाध प्रेम देंगे और पार्टी के लिए वे शानदार काम करेंगी।


विरोधी कितना भी उनको नजरंदाज करे, वह आगे आने वाले समय में  विशेषकर 24/1/2020 के बाद से सत्ता के क्षितीज में सितारा बनकर उभरेंगी।
आगे आने वाले समय में उनका सामना करना किसी भी विरोधी के लिए मुश्किल होंगा। वह पार्टी एवं सत्ता में शिघ्र ही अपना प्रभुत्व जमा लेंगी।

विशेष---
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जन्मकालिक राशि भी वृश्चिक ही है जो कि प्रियंका गांधी की है। ऐसे में राजनीति के मैदान में पीएम मोदी को राहुल गांधी से अधिक चुनौती प्रियंका गांधी से मिलेगी। यद्यपि दोनों की ही साढ़ेसाती चल रही है, जिसके फलस्वरूप मोदी जी उत्तर प्रदेश में न केवल पूर्व से बहुत कम सफलता प्राप्त करेंगे, अपितु प्रियंका गांधी के योगकारी शनि एवं बृहस्पति की उत्तम अवस्था के कारण भाजपा को एवं अन्य पार्टियों को गंभीर रूप से हानि होगी।

सितंबर 2019 तक प्रियंका गांधी को स्वयं के परिवार के उपर जहां राजनीतिक आघात का मुकाबला करना होगा, वहीं शासन-प्रशासन की तरफ से भी संकट का सामना भी करना पड़ सकता है। इस बीच प्रियंका गांधी एवं उनके परिवार, विशेष रूप से पति को शासन सत्ता का खासा विरोध झेलना पड़ेगा। लेकिन सितंबर 2019 के बाद बुध की अंतरदशा इन्हें भारतीय राजनीति के ध्रुव तारे की तरह प्रकाशित करेगी।
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