क्या आपके मकान में भी वास्तु दोष है?--आप प्रश्न करें हम इसका उत्तर देने का प्रयास करेंगे"

किचन इशान कोण[उत्तर-पूर्व] से लगकर है --निराकरण --वरांडा में अग्नि कोण [दक्षिण-पूर्व] में बनाएं

*भवन का नेऋत्य कोण[दक्षिण-पश्चिम] वरांडा के रूप मे खुला हुवा है ----निराकरण ---इसे बंद करें

*भवन का पूरा निर्माण वायव्य [उत्तर-पश्चिम] में है और दक्षिण में ज्यादा जगह खुला है --निराकरण ---वरांडा को बंद करके ...
अग्नि कोण मे किचन और नेऋत्य कोण[दक्षिण-पश्चिम] मे मुख्य शयन कक्ष बनाना चाहिए

*दक्षिण में जहाँ से भवन शुरू हुवा है वहां पर एक और कम्पौंड वाल बनाना चाहिए --इससे दक्षिण में जो ज्यादा जगह छुटी है उसका दोष समाप्त हो जायेगा

*गार्डन की जो सामग्री इशान कोण में रखी है उसे नेऋत्य कोण[दक्षिण-पश्चिम] में रखनी चाहिए

** कम्पौंड वाल के नेऋत्य कोण[दक्षिण-पश्चिम] मे हनुमान जी ध्वजा लगाकर उस कोण को भारी करें

**भवन के नेऋत्य कोण[दक्षिण-पश्चिम] मे हनुमान जी ध्वजा लगाकर उस कोण को भारी करें

**भवन के नेऋत्य कोण[दक्षिण-पश्चिम] मे हनुमान जी की मूर्ति दक्षिण दीवाल में स्थापित करें

**इस भवन से निम्न वास्तु लाभ आपको मिलेगा ---

*इशान कोण में पूजा ----समृद्धिदायक

*इशान कोण में जमीन के अंदर पानी की टंकी --समृद्धिदायक

*मुख्य शयन कक्ष नेऋत्य कोण[दक्षिण-पश्चिम] में ---मुखिया को सोना चाहिए

*पश्चिम में शयन कक्ष ---लाभदायक

*ड्राइंग रूम का मुख्य द्वार पूर्व मध्य से ---लाभदायक द्वार

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