एक समय गोकुल में एक मोर रहता था। वह रोज़ जब कृष्ण भगवान आते और जाते तो उनके द्वार पर बैठा एक ही भजन गाता। “मेरा कोई ना सहारा बिना तेरे गोपाल, सांवरिया मेरे माँ बाप सांवरिया मेरे।” वो इस तरहा रोज़ यही गुनगुनाता रहता। एक दिन हो गया, 2 दिन हो गये इसी तरहा 1 साल व्यतीत हो गया परन्तु कृष्ण ने एक ना सुनी तब वहाँ से एक मैना उड़ती जा रही थी उसने मोर को रोता हुआ देखा और अचम्भा किया।
उसे मोर के रोने पर अचम्भा नहीं हुआ, उसे ये देख के अचम्भा हुआ की कृष्ण के दर पर कोई रो रहा है। वो मोर से बोली… मैना: हे मोर तू क्यों रोता हैं? तो मोर ने बताया कि, मोर: पिछले एक साल से मैं इस छलिये को रिझा रहा हूँ, परन्तु इसने आज तक मुझे पानी भी नही पिलाया। ये सुन मैना बोली… मैना: मैं बरसाना से आई हूँ, तू भी वहाँ चल और वो दोनों उड़ चले और उड़ते उड़ते बरसाने पहुँच गये। जब मैना वहाँ पहुँची तो उसने गाना शुरू किया श्री राधे राधे राधे बरसाने वाली राधे परन्तु मोर तो बरसाने में आकर भी यही दोहरा रहा था ।
मेरा कोई ना सहारा बिना तेरे, गोपाल सांवरिया मेरे, माँ बाप सांवरिया मेरे”। जब राधा ने ये सुना तो दौड़ी चली आई और मोर को गले लगा लिया। राधा: तू कहाँ से आया हैं तो मोर ने बोला। मोर: जय हो राधा रानी आज तक सुना था कि तू करुणामयी हो और आज साबित भी हो गया। राधा: वो कैसे, मोर: मैं पिछले 1 साल से श्याम नाम की बीन बजा रहा हूँ और उसने पानी भी नही पिलाया। राधा: ठीक है अब तुम गोकुल जाओ और यही रटो… जय राधे-राधे राधे-राधे, बरसाने वाली राधे-राधे। मोर फिर गोकुल आता है और गाता है… जयराधे–राधे….जब कृष्ण ने ये सुना तो भागते हुए आये और बोले। कृष्ण: हे मोर तू कहाँ से आया है..?
मोर🕊: वाह छलिये! जब एक साल से तेरे नाम की बीन बजा रहा था तो पानी भी नहीं पूछा और जब आज पार्टी बदली तो भागता हुआ आ गया। कृष्ण: अरे बातों में मत उलझा बात बता। मोर🕊: मैं पिछले एक साल से तेरे द्वार पर यही गा रहा हूँ… “मेरा कोई ना सहारा बिना तेरे गोपाल, सांवरिया मेरे माँ बाप सांवरिया मेरे।” कृष्ण: तूने राधा का नाम लिया ये तेरा वरदान है, और मैंने पानी नहीं पूछा ये मेरे लिए श्राप है। इसलिए जब तक ये सृष्टि रहेगी तेरा पंख सदैव मेरे शीश पर विराजमान होगा और जो राधा का नाम लेगा वो भी मेरे शीश पर रहेगा। जय हो मोरमुकुटबंशीवाले बाँकेबिहारीलाल की कन्हैयाजयश्रीकृष्ण *जय हो**जय श्री कृष्ण*
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