बहुत दिन पहले की बात है।एक आदमी को अपनी तलवार-बाज़ी पर बहुत घमंड हो गया था ,इतना घमंड हो गया कि उसने अपने गुरु को ही चुनौती दे डाली। गुरु की उम्र हो चुकी थी चेला जवान था। फिर भी गुरु ने ये चुनौती स्वीकार कर ली। और लड़ाई का दिन ठीक हुआ ठीक सातवे दिन। पहले दिन चेला देखने आया कि देखें गुरु क्या कर रहे हैं तो आकर देखा की गुरु एक छोटी सी छुरी को धार देने में लगे थे। चेला देख कर हंस पड़ा। चेले ने घर जाकर अपनी तलवार को धार देनी शुरू की। दुसरे दिन चेले ने देखा गुरु एक तलवार को धार दे रहे हैं। चेले ने भी और धार देनी शुरू की। ३ दिन बाद जाकर देखा उसके गुरु एक बड़ी और लम्बी तलवार पर धार दे रहे थे। चेले को गुस्सा आया वो घर आकर गुरु से भी बड़ी और लम्बी तलवार पर धार देने लगा। निश्चित दिन पर लड़ाई का समय हो गया। दोनों गुरु-चेले अपनी -अपनी म्यान में तलवारे लेकर आमने-सामने थे। लड़ाई शुरू हुई; चेले ने म्यान से तलवार खींचनी शुरू की-मगर ये क्या जब तक चेला तलवार निकाल पाता गुरु ने अपनी म्यान से छुरी निकाली और चेले के पेट में घोप दी। गुरु की म्यान बड़ी थी मगर गुरु ने उसमे तलवार की जगह छुरी रखी थी। और चेले ने गुरु की बराबरी करने के चक्कर में बड़ी तलवार ली थी जो वो अपनी म्यान से निकाल ही नहीं पाया। और गुरु ने अपना काम कर दिया।
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