🙏🏻 *सुखी रहने का तरीका* 🙏🏻
*एक बार की बात है संत तुकाराम अपने आश्रम में बैठे हुए थे। तभी उनका एक शिष्य, जो स्वाभाव से थोड़ा क्रोधी था उनके समक्ष आया और बोला-*
*गुरूजी, आप कैसे अपना व्यवहार इतना मधुर बनाये रहते हैं*, ना आप किसी पे क्रोध करते हैं और ना ही किसी को कुछ भला-बुरा कहते हैं? कृपया अपने इस अच्छे व्यवहार का रहस्य बताइए?
*संत बोले-* मुझे अपने रहस्य के बारे में तो नहीं पता, पर मैं तुम्हारा रहस्य जानता हूँ !
*“मेरा रहस्य! वह क्या है गुरु जी?”* शिष्य ने आश्चर्य से पूछा।
*”तुम अगले एक हफ्ते में मरने वाले हो!”* संत तुकाराम दुखी होते हुए बोले।
*कोई और कहता तो शिष्य ये बात मजाक में टाल सकता था*, पर स्वयं संत तुकाराम के मुख से निकली बात को कोई कैसे काट सकता था?
*शिष्य उदास हो गया और गुरु का आशीर्वाद ले वहां से चला गया।*
*उस समय से शिष्य का स्वभाव बिलकुल बदल सा गया।* वह हर किसी से प्रेम से मिलता और कभी किसी पे क्रोध न करता, अपना ज्यादातर समय ध्यान और पूजा में लगाता। वह उनके पास भी जाता जिससे उसने कभी गलत व्यवहार किया था और उनसे माफ़ी मांगता। देखते-देखते संत की भविष्यवाणी को एक हफ्ते पूरे होने को आये।
*शिष्य ने सोचा चलो एक आखिरी बार गुरु के दर्शन कर आशीर्वाद ले लेते हैं। वह उनके समक्ष पहुंचा और बोला-*
*गुरुजी*, मेरा समय पूरा होने वाला है, कृपया मुझे आशीर्वाद दीजिये!”
*“मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है पुत्र।* अच्छा, ये बताओ कि पिछले सात दिन कैसे बीते? क्या तुम पहले की तरह ही लोगों से नाराज हुए, उन्हें अपशब्द कहे?”
*संत तुकाराम ने प्रश्न किया।*
*“नहीं-नहीं, बिलकुल नहीं।* मेरे पास जीने के लिए सिर्फ सात दिन थे, मैं इसे बेकार की बातों में कैसे गँवा सकता था?
*मैं तो सबसे प्रेम से मिला*, और जिन लोगों का कभी दिल दुखाया था उनसे क्षमा भी मांगी शिष्य तत्परता से बोला।
*संत तुकाराम मुस्कुराए और बोले*, “बस यही तो मेरे अच्छे व्यवहार का रहस्य है।"
*मैं जानता हूँ कि मैं कभी भी मर सकता हूँ*, इसलिए मैं हर किसी से प्रेमपूर्ण व्यवहार करता हूँ, और यही मेरे अच्छे व्यवहार का रहस्य है।
*शिष्य समझ गया कि* संत तुकाराम ने उसे जीवन का यह पाठ पढ़ाने के लिए ही मृत्यु का भय दिखाया था।
*वास्तव में हमारे पास भी सात दिन ही बचें हैं :-*
*रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि, आठवां दिन तो बना ही नहीं है ।*
🙏🏻🌺 *"आइये आज से परिवर्तन आरम्भ करें