एक सेठ जी थे -
जिनके पास काफी दौलत थी.
सेठ जी ने अपनी बेटी
की शादी एक बड़े घर में की
थी.
परन्तु बेटी के भाग्य में सुख न होने के कारण
उसका पति जुआरी, शराबी निकल गया.
जिससे सब धन समाप्त हो गया.
जिनके पास काफी दौलत थी.
सेठ जी ने अपनी बेटी
की शादी एक बड़े घर में की
थी.
परन्तु बेटी के भाग्य में सुख न होने के कारण
उसका पति जुआरी, शराबी निकल गया.
जिससे सब धन समाप्त हो गया.
बेटी की यह हालत देखकर
सेठानी जी रोज सेठ जी से
कहती कि आप दुनिया की मदद करते
हो,
मगर अपनी बेटी परेशानी में
होते हुए उसकी मदद क्यों नहीं करते
हो?
सेठ जी कहते कि
"जब उनका भाग्य उदय होगा तो अपने आप सब मदद करने को
तैयार हो जायेंगे..."
एक दिन सेठ जी घर से बाहर गये थे कि,
तभी उनका दामाद घर आ गया.
सास ने दामाद का आदर-सत्कार किया और बेटी
की मदद करने का विचार उसके मन में आया कि क्यों
न मोतीचूर के लड्डूओं में अर्शफिया रख
दी जाये...
सेठानी जी रोज सेठ जी से
कहती कि आप दुनिया की मदद करते
हो,
मगर अपनी बेटी परेशानी में
होते हुए उसकी मदद क्यों नहीं करते
हो?
सेठ जी कहते कि
"जब उनका भाग्य उदय होगा तो अपने आप सब मदद करने को
तैयार हो जायेंगे..."
एक दिन सेठ जी घर से बाहर गये थे कि,
तभी उनका दामाद घर आ गया.
सास ने दामाद का आदर-सत्कार किया और बेटी
की मदद करने का विचार उसके मन में आया कि क्यों
न मोतीचूर के लड्डूओं में अर्शफिया रख
दी जाये...
यह सोचकर सास ने लड्डूओ के बीच में अर्शफिया
दबा कर रख दी और दामाद को टीका लगा
कर विदा करते समय पांच किलों शुद्ध देशी
घी के लड्डू, जिनमे अर्शफिया थी,
दिये...
दामाद लड्डू लेकर घर से चला,
दबा कर रख दी और दामाद को टीका लगा
कर विदा करते समय पांच किलों शुद्ध देशी
घी के लड्डू, जिनमे अर्शफिया थी,
दिये...
दामाद लड्डू लेकर घर से चला,
दामाद ने सोचा कि इतना वजन कौन लेकर जाये क्यों न
यहीं मिठाई की दुकान पर बेच दिये जायें
और दामाद ने वह लड्डुयों का पैकेट मिठाई वाले को बेच दिया और
पैसे जेब में डालकर चला गया.
उधर सेठ जी बाहर से आये तो उन्होंने सोचा घर के
लिये मिठाई की दुकान से मोतीचूर के
लड्डू लेता चलू और सेठ जी ने दुकानदार से लड्डू
मांगे...मिठाई वाले ने वही लड्डू का पैकेट सेठ
जी को वापिस बेच दिया.
सेठ जी लड्डू लेकर घर आये.. सेठानी
ने जब लड्डूओ का वही पैकेट देखा तो
सेठानी ने लड्डू फोडकर देखे, अर्शफिया देख कर
अपना माथा पीट लिया.
सेठानी ने सेठ जी को दामाद के आने से
लेकर जाने तक और लड्डुओं में
की बात कह डाली...
सेठ जी बोले कि भाग्यवान मैंनें पहले
ही समझाया था कि अभी उनका भाग्य
नहीं जागा...
देखा मोहरें ना तो दामाद के भाग्य में थी और न
ही मिठाई वाले के भाग्य में...
अर्शफिया छिपानेयहीं मिठाई की दुकान पर बेच दिये जायें
और दामाद ने वह लड्डुयों का पैकेट मिठाई वाले को बेच दिया और
पैसे जेब में डालकर चला गया.
उधर सेठ जी बाहर से आये तो उन्होंने सोचा घर के
लिये मिठाई की दुकान से मोतीचूर के
लड्डू लेता चलू और सेठ जी ने दुकानदार से लड्डू
मांगे...मिठाई वाले ने वही लड्डू का पैकेट सेठ
जी को वापिस बेच दिया.
सेठ जी लड्डू लेकर घर आये.. सेठानी
ने जब लड्डूओ का वही पैकेट देखा तो
सेठानी ने लड्डू फोडकर देखे, अर्शफिया देख कर
अपना माथा पीट लिया.
सेठानी ने सेठ जी को दामाद के आने से
लेकर जाने तक और लड्डुओं में
की बात कह डाली...
सेठ जी बोले कि भाग्यवान मैंनें पहले
ही समझाया था कि अभी उनका भाग्य
नहीं जागा...
देखा मोहरें ना तो दामाद के भाग्य में थी और न
ही मिठाई वाले के भाग्य में...
इसलिये कहते हैं कि भाग्य से
ज्यादा
और...
समय
से पहले न किसी को कुछ मिला है और न
मीलेगा!ईसी लिये ईशवर जितना दे
उसी मै संतोष करो...
ज्यादा
और...
समय
से पहले न किसी को कुछ मिला है और न
मीलेगा!ईसी लिये ईशवर जितना दे
उसी मै संतोष करो...
सुख और दुख दोनों ही जीवन में बराबर
आते हैं।
जिंदगी का झूला पीछे जाए, तो डरो मत,
वह आगे भी आएगा।
आते हैं।
जिंदगी का झूला पीछे जाए, तो डरो मत,
वह आगे भी आएगा।
बहुत ही खूबसूरत लाईनें.
.किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये,
कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता..!
डरिये वक़्त की मार से,बुरा वक़्त किसीको
बताकर नही आता..!
.किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये,
कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता..!
डरिये वक़्त की मार से,बुरा वक़्त किसीको
बताकर नही आता..!
""ना तुम अपने आप को गले लगा सकते हो, ना ही
तुम अपने कंधे पर सर रखकर रो सकते हो एक दूसरे के लिये
जीने का नाम ही जिंदगी है!
तुम अपने कंधे पर सर रखकर रो सकते हो एक दूसरे के लिये
जीने का नाम ही जिंदगी है!
इसलिये वक़्त उन्हें दो जो तुम्हे चाहते हों दिल से!
रिश्ते पैसो के मोहताज़ नहीं होते क्योकि कुछ रिश्ते
मुनाफा नहीं देते पर जीवन
अमीर जरूर बना देते है
मुनाफा नहीं देते पर जीवन
अमीर जरूर बना देते है