जीवन की सच्चाई


रात के समय एक दुकानदार अपनी दुकान बन्द ही कर
रहा था कि एक कुत्ता दुकान में आया । उसके मुॅंह में
एक थैली थी। जिसमें सामान की लिस्ट और पैसे थे।
दुकानदार ने पैसे लेकर सामान उस थैली में भर दिया।
कुत्ते ने थैली मुॅंह मे उठा ली और चला गया।
दुकानदार आश्चर्यचकित होके कुत्ते के पीछे पीछे
गया ये देखने की इतने समझदार कुत्ते का मालिक
कौन है।
कुत्ता बस स्टाॅप पर खडा रहा। थोडी देर बाद एक
बस आई जिसमें चढ गया। कंडक्टर के पास आते ही
अपनी गर्दन आगे कर दी। उस के गले के बेल्ट में पैसे और
उसका पता भी था। कंडक्टर ने पैसे लेकर टिकट कुत्ते
के गले के बेल्ट मे रख दिया। अपना स्टाॅप आते ही
कुत्ता आगे के दरवाजे पे चला गया और पूॅंछ हिलाकर
कंडक्टर को इशारा कर दिया। बस के रुकतेही उतरकर
चल दिया।
दुकानदार भी पीछे पीछे चल रहा था।
कुत्ते ने घर का दरवाजा अपने पैरोंसे २-३ बार
खटखटाया।
अन्दरसे उसका मालिक आया और लाठी से उसकी
पीटाई कर दी।
दुकानदार ने मालिक से इसका कारण पूछा ।
मालिक बोला “साले ने मेरी नीन्द खराब कर दी।
चाबी साथ लेके नहीं जा सकता था गधा।”
जीवन की भी यही सच्चाई है।
लोगों की अपेक्षाओं का कोई अन्त नहीं है।



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