पित्त-नाश व बलवृधि के लिए:
पीपल के कोमल पत्तों का मुरब्बा बड़ी शक्ति देता है | इसके सेवन से शरीर की कई प्रकार की गर्मी-संबंधी बीमारियाँ चली जाती है | यह किडनी की सफाई करता है | पेशाब खुलकर आता है | पित्त से होने वाली आँखों की जलन दूर होती है | यह गर्भाशय व मासिक संबंधी रोगों में लाभकारी है | इसके सेवन से गर्भपात का खतरा दूर हो जाता है |
पीपल के कोमल पत्तों का मुरब्बा बड़ी शक्ति देता है | इसके सेवन से शरीर की कई प्रकार की गर्मी-संबंधी बीमारियाँ चली जाती है | यह किडनी की सफाई करता है | पेशाब खुलकर आता है | पित्त से होने वाली आँखों की जलन दूर होती है | यह गर्भाशय व मासिक संबंधी रोगों में लाभकारी है | इसके सेवन से गर्भपात का खतरा दूर हो जाता है |
पीपल के पत्ते ऐसे नहीं तोड़ना चाहिए | पहले पीपल देवता को प्रणाम करना कि ‘महाराज ! औषध के लिए हम आपकी सेवा लेते हैं, कृपा करना |’ पीपल को काटना नहीं चाहिए | उसमें सात्विक देवत्व होता है |
मुरब्बा बनाने की विधि: पीपल के २५० ग्राम लाल कोमल पत्तों को पानी से धोकर उबाल लें, फिर पीसकर उसमें समभाग मिश्री व ५० ग्राम देशी गाय का घी मिलाकर धीमी आँच पर सेंक लें | गाढ़ा होने पर ठंडा करके सुरक्षित किसी साफ बर्तन ( काँच की बरनी उत्तम है ) में रख लें |
सेवन-विधि: १०-१० ग्राम सुबह-शाम दूध से लें |
हृदय मजबूत करने के लिए : १०-१२ ग्राम पीपल के कोमल पत्तों का रस और चोथाई चमम्च पीसी मिश्री सुबह-शाम लेने से हृदय मजबूत होता है, हृदयघात (हार्ट -अटैक) नहीं होता | इससे मिर्गी व मूर्च्छा की बीमारी में लाभ होता है |
मुरब्बा बनाने की विधि: पीपल के २५० ग्राम लाल कोमल पत्तों को पानी से धोकर उबाल लें, फिर पीसकर उसमें समभाग मिश्री व ५० ग्राम देशी गाय का घी मिलाकर धीमी आँच पर सेंक लें | गाढ़ा होने पर ठंडा करके सुरक्षित किसी साफ बर्तन ( काँच की बरनी उत्तम है ) में रख लें |
सेवन-विधि: १०-१० ग्राम सुबह-शाम दूध से लें |
हृदय मजबूत करने के लिए : १०-१२ ग्राम पीपल के कोमल पत्तों का रस और चोथाई चमम्च पीसी मिश्री सुबह-शाम लेने से हृदय मजबूत होता है, हृदयघात (हार्ट -अटैक) नहीं होता | इससे मिर्गी व मूर्च्छा की बीमारी में लाभ होता है |
swedeshi aapnaye