Pandit Dyanand Shashtri: 7 नंवबर से हो रहा है मंगल का राशि परिवर्तन, इन चार राशियों की बदलने वाली है किस्मत, होगा अपार घन लाभ।
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जानिए मंगल ग्रह का महत्व---
प्रिय मित्रों/पाठकों, नवग्रहों में मंगल को उच्च स्थान प्राप्त है साथ ही ज्योतिष शास्त्र में भी मंगल को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। मंगल को लाल ग्रह के रूप में भी कहा जाता हैं।ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार वैदिक ज्योतिष में मंगल को क्रूर और ऊर्जा प्रदान करने वाले ग्रह के रूप में जाना जाता है। यह जातक के मन और बुद्धि को तेज़ करने वाला ग्रह है। इसके प्रभाव से मनुष्य अपने जीवन यात्रा में साहसी कार्य को अंजाम देता है, क्योंकि मंगल ग्रह साहस का कारक है। पौराणिक ग्रंथों में मंगल को भूमि पुत्र कहा गया है, इसलिए मंगल को भौम के नाम से भी जाना जाता है।
ज्योतिष में मंगल ग्रह मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी है। मंगल सूर्य, चंद्रमा तथा बृहस्पति के मित्र हैं तो बुध और केतु के साथ इनका शत्रुवत संबंध है। शुक्र और शनि के साथ इनका संबंध तटस्थ है। पण्डित दयानन्द शास्त्री बताते हैं कि मंगल, मकर राशि में उच्च के होते हैं तो कर्क राशि में इन्हें नीच का माना जाता है। मंगल दोष से पीड़ित जातक को अपने वैवाहिक जीवन में कष्टों से लेकर दरिद्रता जैसे दु:ख उठाने पड़ते हैं।
मंगल एक्शन का नाम है। यह हमारा निर्णय है, यह हमारी प्रेरणा है। मंगल ग्रह सैन्य सैनिकों, योद्धाओं, अचल संपत्ति डीलरों को बनाता है। बिल्डर्स, व्यापारियों, प्रसिद्ध सर्जन और खिलाड़ियों की कुंडली में अच्छा मंगल होता है। ज्योतिर्विद पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार हमारे जीवन में मंगल ग्रह संबंधों के मामले में छोटे भाई–बहन और सभी तरह के ब्लड रिलेशन का प्रतिनिधित्व करता है। यह जुनून है, एक व्यक्ति के भीतर की कामेच्छा है। यह एक लड़की की कुंडली में एक प्रेमी है। मंगल को वैदिक ज्योतिष में सौर मंडल का रक्षा मंत्री माना जाता है। मंगल ग्रह विस्फोट और अत्यधिक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। यह दुर्घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार होता है। पृथ्वी पर यह दुर्घटनाओं और युद्धों के लिए ज़िम्मेदार है। सभी हथियार, फटाके, विस्फोटक मंगल ग्रह के अधीन आते हैं।
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जानिए मंगल ग्रह की विशेषताएं--
मंगल ग्रह को बृहस्पति, सूर्य और चंद्रमा का साथ पसंद है। लेकिन, इसे शनि, राहु और केतु के साथ रहना नापसंद है। तो क्या होता है जब यह मंगल ग्रह वक्री हो जाता है? एेसी स्थिति में मंगल बाहरी दुनिया की अपेक्षा आंतरिक दुनिया के निर्णय अधिक लेने लगता है। यह समय शरीर की इंजीनियरिंग के साथ ही आत्मा की इंजीनियरिंग का भी होता है। यही वह समय है जहां अतीत के अनुभव आपको कुछ समय बैठकर सोचने–समझने के लिए विवश करते हैं।
आप अपने कर्मों, बिजनेस और रिलेशनशिप की एनालिसिस करते हैं। यदि आप एक नए रिश्ते से शुरू करने के लिए तैयार हैं तो आप इस अवधि के दौरान नई प्रेरणा और अभिनव विचारों से युक्त नये प्रोफेशन, बिजनेस और कार्मिक पैटर्न से रूबरू होंगे।
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आने वाला समय कुछ राशियों के लिए काफी अच्छा रहने वाला है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री बताते है कि 7 नवंबर 2018 (बुधवार) को मंगल मकर से कुंभ राशि में प्रवेश कर रहा है। मंगल के राशि परिवर्तन से कई राशियों के लिए काफी अच्छा समय आने वाला है। पंडित दयानन्द शास्त्री जी बताते है कि ज्योतिष शास्त्र में मंगल को ग्रहों का सेनापति कहा जाता है।
भूमिपुत्र मंगल का कुंभ राशि में गोचर 12 राशियों अलग-अलग तरीके से प्रभाव डालेगा।
जानिए सभी राशियों पर कैसा होगा मंगल का प्रभाव....
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मेष राशि
पंडित दयानन्द शास्त्री जी बताते है कि मेष राशि में मंगल एकादश भाव में होगा। यहां मंगल लग्नेश व अष्टमेश होता है। ये शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने का योग बनाता है। कोई शुभ समाचार भी मिल सकता है।
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वृषभ राशि
वृषभ राशि में मंगल दशम भाव में होगा। वृषभ राशि में मंगल सप्तमेश एवं व्ययेश होने के कारण द्वितीय मारकेश है। फलत: यह अशुभ फलदायी होगा। जातक को संतान के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है। यदि जातक नौकरी की तलाश में है, तो यह समय शुभ होगा। उपाय हेतु मंगल चंडिका स्त्रोत पढ़ें, लाभ होगा।
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मिथुन राशि
इस राशि में मंगल नवम भाव में होगा। यहां मंगल षष्ठेश व लाभेश होने के कारण अशुभ फलदायक है। इस समय जातक का स्वास्थ खराब हो सकता है लेकिन बच्चों की तरफ से कोई खुशखबरी मिल सकती है।
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कर्क राशि
कर्क राशि में मंगल अष्टम भाव में रहेगा। यहां मंगल लाभ स्थान में होगा। इस समय जातक को कानूनी रुप से सफलता मिलने के संकेत मिल रहे है।
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सिंह राशि
सिंह राशि में मंगल सप्तम भाव में होगा। यहां मंगल केंद्र और त्रिकोण दोनों का स्वामी है। ऐसे में जातक के विवाह जीवन में कलह हो सकती है। शांति के लिए हनुमान जी की पूजा करें।
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कन्या राशि
कन्या राशि में मंगल षष्ठ भाव में होगा। यहां यह तृतीयेश एवं अष्टमेश होने से परम पापी है। कन्या राशि के जातकों के लिए यह नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करेगा। जातक को कोर्ट से संबंधित कोई परेशानी हो सकती है। इस दौरान शत्रुओं से विशेष रूप से सावधान रहने की आवश्यकता है।
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तुला राशि
तुला राशि में मंगल पंचम स्थान में होगा। तुला लग्न में मंगल द्वितीयेश एवं सप्तमेश होने से मुख्य मारक ग्रह हैं। जातक को संतान की ओर से दुःख प्राप्त होगा |
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वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि में मंगल चतुर्थ भाव में होगा। यहां मंगल लग्नेश एवं षष्ठेश है। लेकिन लग्नेश होते हुए भी यह पापी है। यदि कुंडली में मंगल बली है, तो शुभ फल देगा अन्यथा अशुभ फल देगा। यदि इस राशि के जातक सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, तो यह इनके लिए शुभ समय है।
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धनु राशि
धनु राशि में मंगल तृतीय भाव में होगा। धनु राशि में मंगल पंचमेश व खर्चेश है। मंगल खर्चेश होते हुए भी शुभ योग प्रदाता है, क्योंकि यह गुरु का मित्र है। बच्चों से लाभ होगा।
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मकर राशि
मकर राशि के जातकों के द्वितीय भाव में मंगल उपस्थित होगा। मकर राशि में मंगल चतुर्थेश या लाभेश होने से अशुभ है। ऐसे में संतान की ओर से सतर्क रहें। मंगल के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए दोपहर के समय बच्चों में चना - गुड़ आदि बांटे, लाभ होगा।
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कुम्भ राशि
कुम्भ राशि के जातकों के प्रथम भाव में उपस्थित होगा। कुम्भ राशि में मंगल तृतीयेश एवं राज्येश है। कुम्भ राशि में मंगल शुभ एवं अशुभ दोनों फल देता है। विवाह में अचानक से रुकावट या विलंब होने संभावना है।
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मीन राशि
मीन राशि में यह मंगल द्वादश भाव में होगा। मीन राशि में मंगल धनेश एवं भावेश दोनों है। यहां मंगल शुभ फल दायी है। लेकिन जातक के विवाह में विलम्ब हो सकता है। विवाह विलम्ब की स्थिति में जातक घट विवाह करें, लाभ होगा।
[14:17, 11/6/2018] Pathak Ji: Ok
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जानिए मंगल ग्रह का महत्व---
प्रिय मित्रों/पाठकों, नवग्रहों में मंगल को उच्च स्थान प्राप्त है साथ ही ज्योतिष शास्त्र में भी मंगल को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। मंगल को लाल ग्रह के रूप में भी कहा जाता हैं।ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार वैदिक ज्योतिष में मंगल को क्रूर और ऊर्जा प्रदान करने वाले ग्रह के रूप में जाना जाता है। यह जातक के मन और बुद्धि को तेज़ करने वाला ग्रह है। इसके प्रभाव से मनुष्य अपने जीवन यात्रा में साहसी कार्य को अंजाम देता है, क्योंकि मंगल ग्रह साहस का कारक है। पौराणिक ग्रंथों में मंगल को भूमि पुत्र कहा गया है, इसलिए मंगल को भौम के नाम से भी जाना जाता है।
ज्योतिष में मंगल ग्रह मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी है। मंगल सूर्य, चंद्रमा तथा बृहस्पति के मित्र हैं तो बुध और केतु के साथ इनका शत्रुवत संबंध है। शुक्र और शनि के साथ इनका संबंध तटस्थ है। पण्डित दयानन्द शास्त्री बताते हैं कि मंगल, मकर राशि में उच्च के होते हैं तो कर्क राशि में इन्हें नीच का माना जाता है। मंगल दोष से पीड़ित जातक को अपने वैवाहिक जीवन में कष्टों से लेकर दरिद्रता जैसे दु:ख उठाने पड़ते हैं।
मंगल एक्शन का नाम है। यह हमारा निर्णय है, यह हमारी प्रेरणा है। मंगल ग्रह सैन्य सैनिकों, योद्धाओं, अचल संपत्ति डीलरों को बनाता है। बिल्डर्स, व्यापारियों, प्रसिद्ध सर्जन और खिलाड़ियों की कुंडली में अच्छा मंगल होता है। ज्योतिर्विद पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार हमारे जीवन में मंगल ग्रह संबंधों के मामले में छोटे भाई–बहन और सभी तरह के ब्लड रिलेशन का प्रतिनिधित्व करता है। यह जुनून है, एक व्यक्ति के भीतर की कामेच्छा है। यह एक लड़की की कुंडली में एक प्रेमी है। मंगल को वैदिक ज्योतिष में सौर मंडल का रक्षा मंत्री माना जाता है। मंगल ग्रह विस्फोट और अत्यधिक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। यह दुर्घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार होता है। पृथ्वी पर यह दुर्घटनाओं और युद्धों के लिए ज़िम्मेदार है। सभी हथियार, फटाके, विस्फोटक मंगल ग्रह के अधीन आते हैं।
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जानिए मंगल ग्रह की विशेषताएं--
मंगल ग्रह को बृहस्पति, सूर्य और चंद्रमा का साथ पसंद है। लेकिन, इसे शनि, राहु और केतु के साथ रहना नापसंद है। तो क्या होता है जब यह मंगल ग्रह वक्री हो जाता है? एेसी स्थिति में मंगल बाहरी दुनिया की अपेक्षा आंतरिक दुनिया के निर्णय अधिक लेने लगता है। यह समय शरीर की इंजीनियरिंग के साथ ही आत्मा की इंजीनियरिंग का भी होता है। यही वह समय है जहां अतीत के अनुभव आपको कुछ समय बैठकर सोचने–समझने के लिए विवश करते हैं।
आप अपने कर्मों, बिजनेस और रिलेशनशिप की एनालिसिस करते हैं। यदि आप एक नए रिश्ते से शुरू करने के लिए तैयार हैं तो आप इस अवधि के दौरान नई प्रेरणा और अभिनव विचारों से युक्त नये प्रोफेशन, बिजनेस और कार्मिक पैटर्न से रूबरू होंगे।
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आने वाला समय कुछ राशियों के लिए काफी अच्छा रहने वाला है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री बताते है कि 7 नवंबर 2018 (बुधवार) को मंगल मकर से कुंभ राशि में प्रवेश कर रहा है। मंगल के राशि परिवर्तन से कई राशियों के लिए काफी अच्छा समय आने वाला है। पंडित दयानन्द शास्त्री जी बताते है कि ज्योतिष शास्त्र में मंगल को ग्रहों का सेनापति कहा जाता है।
भूमिपुत्र मंगल का कुंभ राशि में गोचर 12 राशियों अलग-अलग तरीके से प्रभाव डालेगा।
जानिए सभी राशियों पर कैसा होगा मंगल का प्रभाव....
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मेष राशि
पंडित दयानन्द शास्त्री जी बताते है कि मेष राशि में मंगल एकादश भाव में होगा। यहां मंगल लग्नेश व अष्टमेश होता है। ये शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने का योग बनाता है। कोई शुभ समाचार भी मिल सकता है।
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वृषभ राशि
वृषभ राशि में मंगल दशम भाव में होगा। वृषभ राशि में मंगल सप्तमेश एवं व्ययेश होने के कारण द्वितीय मारकेश है। फलत: यह अशुभ फलदायी होगा। जातक को संतान के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है। यदि जातक नौकरी की तलाश में है, तो यह समय शुभ होगा। उपाय हेतु मंगल चंडिका स्त्रोत पढ़ें, लाभ होगा।
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मिथुन राशि
इस राशि में मंगल नवम भाव में होगा। यहां मंगल षष्ठेश व लाभेश होने के कारण अशुभ फलदायक है। इस समय जातक का स्वास्थ खराब हो सकता है लेकिन बच्चों की तरफ से कोई खुशखबरी मिल सकती है।
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कर्क राशि
कर्क राशि में मंगल अष्टम भाव में रहेगा। यहां मंगल लाभ स्थान में होगा। इस समय जातक को कानूनी रुप से सफलता मिलने के संकेत मिल रहे है।
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सिंह राशि
सिंह राशि में मंगल सप्तम भाव में होगा। यहां मंगल केंद्र और त्रिकोण दोनों का स्वामी है। ऐसे में जातक के विवाह जीवन में कलह हो सकती है। शांति के लिए हनुमान जी की पूजा करें।
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कन्या राशि
कन्या राशि में मंगल षष्ठ भाव में होगा। यहां यह तृतीयेश एवं अष्टमेश होने से परम पापी है। कन्या राशि के जातकों के लिए यह नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करेगा। जातक को कोर्ट से संबंधित कोई परेशानी हो सकती है। इस दौरान शत्रुओं से विशेष रूप से सावधान रहने की आवश्यकता है।
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तुला राशि
तुला राशि में मंगल पंचम स्थान में होगा। तुला लग्न में मंगल द्वितीयेश एवं सप्तमेश होने से मुख्य मारक ग्रह हैं। जातक को संतान की ओर से दुःख प्राप्त होगा |
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वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि में मंगल चतुर्थ भाव में होगा। यहां मंगल लग्नेश एवं षष्ठेश है। लेकिन लग्नेश होते हुए भी यह पापी है। यदि कुंडली में मंगल बली है, तो शुभ फल देगा अन्यथा अशुभ फल देगा। यदि इस राशि के जातक सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, तो यह इनके लिए शुभ समय है।
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धनु राशि
धनु राशि में मंगल तृतीय भाव में होगा। धनु राशि में मंगल पंचमेश व खर्चेश है। मंगल खर्चेश होते हुए भी शुभ योग प्रदाता है, क्योंकि यह गुरु का मित्र है। बच्चों से लाभ होगा।
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मकर राशि
मकर राशि के जातकों के द्वितीय भाव में मंगल उपस्थित होगा। मकर राशि में मंगल चतुर्थेश या लाभेश होने से अशुभ है। ऐसे में संतान की ओर से सतर्क रहें। मंगल के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए दोपहर के समय बच्चों में चना - गुड़ आदि बांटे, लाभ होगा।
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कुम्भ राशि
कुम्भ राशि के जातकों के प्रथम भाव में उपस्थित होगा। कुम्भ राशि में मंगल तृतीयेश एवं राज्येश है। कुम्भ राशि में मंगल शुभ एवं अशुभ दोनों फल देता है। विवाह में अचानक से रुकावट या विलंब होने संभावना है।
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मीन राशि
मीन राशि में यह मंगल द्वादश भाव में होगा। मीन राशि में मंगल धनेश एवं भावेश दोनों है। यहां मंगल शुभ फल दायी है। लेकिन जातक के विवाह में विलम्ब हो सकता है। विवाह विलम्ब की स्थिति में जातक घट विवाह करें, लाभ होगा।
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