मूसलाधार वर्षा के साथ ठंड अपने चरम पर थी। इसी मौसम में एक अधेड़ दंपती ने फिलाडेल्फिया के एक छोटे से होटल के रिसेप्शन क्लर्क से एक कमरा देने का अनुरोध किया। वह क्लर्क उस मामूली से होटल में एक संभ्रांत दंपती को देखकर आश्चर्यचकित हुआ। क्लर्क ने अपनी मजबूरी बता कर कहा कि सारे कमरे घिरे हुए हैं। दंपती यह सुनकर निराश होकर बोले- अब ऐसे मौसम में हम लोग कहां जाएं? रिसेप्शनिस्ट ने कुछ देर सोचा और बोला कि अगर आप अन्यथा ना सोचें, तो मेरा एक अपना छोटा सा साधारण कमरा है। आप उसमें रात गुजार सकते हैं। मैं अकेला हूं, इसी ऑफिस में या कहीं और रात काट लूंगा। आगंतुक दंपती ने उसको धन्यवाद दिया और उसके कमरे में रात बिताई। सुबह जाते समय असुविधा में सोते हुए रिसेप्शन क्लर्क को जगाना उचित न समझकर चले गए। इसके कई वर्षों बाद उस क्लर्क को एक पत्र मिला जिसके साथ न्यूयॉर्क की फ्लाइट की टिकट भी। आश्चर्यचकित सा क्लर्क न्यूयॉर्क पहुंचा तो उसने देखा उसके स्वागत में सालों पहले उसके कमरे में रात बिताने वाले वही महाशय खड़े थे। वह थे अमेरिका के प्रसिद्ध न्यायाधीश विलियम वेल्फोर्ड आस्टो। दूसरे दिन न्यायाधीश विलियम वेल्फोर्ड आस्टो उसे अपने साथ लेकर वेल्फोर्ड आस्टोरिया होटल पहुंचे। उन्होंने उस क्लर्क से कहा कि आज से आप इस होटल के मैनेजर हो। क्लर्क बोला- मैं मामूली से होटल में काम करने वाला क्लर्क क्या इतने बड़े होटल का प्रबंध संभाल पाऊंगा? न्यायाधीश ने कहा कि तुम साधारण नहीं हो। तुम्हारे अंदर मानवता का, दया का ऐसा गुण है जो केवल असाधारण व प्रतिभावान व्यक्तियों में ही हो सकता है। तुम्हारी विनम्रता, इंसानियत, स्वयं तकलीफ सहने का करुणा भाव तुम्हें इस पद के योग्य बनता है।
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