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एक आदमी केरल के मालापुरम के एक छोटे से होटल में डिनर के लिए गया. दिन भर काम कर के थक चुका था. उसने खाना ऑर्डर किया, तभी देखा होटल की खिड़की से दो नन्ही आंखें झांक रही हैं. और लोगों को परोसे जा रहे खाने को देख रही हैं.
आदमी ने इशारे से बच्चे को अन्दर बुलाया. बच्चा अपनी बहन को लेकर अंदर आया. आदमी ने पूछा क्या खाना चाहते हो. बच्चे ने आदमी की ही प्लेट की तरफ इशारा कर दिया. आदमी ने एक और प्लेट का ऑर्डर दिया.
खाना आया. लड़के की आंखें चमक उठीं. खाने पर टूट ही रहा था कि उसकी बहन ने उसे रोक लिया. वो चाहती थी कि दोनों बच्चे हाथ धो कर ही खाना खाएं.
बच्चों ने चुप चाप खाना खत्म किया. हाथ धोया. और चले गए. आदमी ने एक निवाला भी नहीं खाया था.
बच्चों के जाने के बाद उसने अपना खाना खत्म कर के बिल मंगाया. जब हाथ धोने के बाद आ कर टेबल पर रखा बिल देखा, तो उसकी आंखें भीग गयीं. बिल में कोई अमाउंट नहीं लिखा था. बल्कि एक मैसेज लिखा हुआ था: “हमारे पास ऐसी कोई मशीन नहीं है जो इंसानियत के दाम लगा सके. आपका भला हो.