एक दिन एक चोर किसी महिला के कमरे में
घुस गया| महिला अकेली थी, चोर ने
छुरा दिखाकर कहा - "अगर तू शोर
मचाएगी तो मैं तुझे मार डालूंगा|"
महिला बड़ी भली थी वह बोली - "मैं शोर
क्यों मचाऊंगी! तुमको मुझसे
ज्यादा चीजों की जरूरत है| आओ, मैं
तुम्हारी मदद करूंगी|"
उसके बाद उसने अलमारी का ताला खोल
दिया और एक-एक कीमती चीज उसके सामने
रखने लगी| चोर हक्का-बक्का होकर
उसकी ओर देखने लगा| स्त्री ने कहा - "तुम्हें
जो-जो चाहिए खुशी से ले जाओ, ये चीजें
तुम्हारे काम आएंगी| मेरे पास तो बेकार
पड़ी हैं|"
थोड़ी देर में वह महिला देखती क्या है
कि चोर की आंखों से आंसू टपक रहे हैं और वह
बिना कुछ लिए चला गया| अगले दिन उस
महिला को एक चिट्ठी मिली| उस
चिट्ठी में लिखा था --
'मुझे घृणा से डर नहीं लगता| कोई
गालियां देता है तो उसका भी मुझ पर कोई
असर नहीं होता| उन्हें सहते-सहते
मेरा दिल पत्थर-सा हो गया है, पर
मेरी प्यारी बहन, प्यार से मेरा दिल मोम
हो जाता है| तुमने मुझ पर प्यार बरसाया|
मैं उसे कभी नहीं भूल सकूंगा|'
घुस गया| महिला अकेली थी, चोर ने
छुरा दिखाकर कहा - "अगर तू शोर
मचाएगी तो मैं तुझे मार डालूंगा|"
महिला बड़ी भली थी वह बोली - "मैं शोर
क्यों मचाऊंगी! तुमको मुझसे
ज्यादा चीजों की जरूरत है| आओ, मैं
तुम्हारी मदद करूंगी|"
उसके बाद उसने अलमारी का ताला खोल
दिया और एक-एक कीमती चीज उसके सामने
रखने लगी| चोर हक्का-बक्का होकर
उसकी ओर देखने लगा| स्त्री ने कहा - "तुम्हें
जो-जो चाहिए खुशी से ले जाओ, ये चीजें
तुम्हारे काम आएंगी| मेरे पास तो बेकार
पड़ी हैं|"
थोड़ी देर में वह महिला देखती क्या है
कि चोर की आंखों से आंसू टपक रहे हैं और वह
बिना कुछ लिए चला गया| अगले दिन उस
महिला को एक चिट्ठी मिली| उस
चिट्ठी में लिखा था --
'मुझे घृणा से डर नहीं लगता| कोई
गालियां देता है तो उसका भी मुझ पर कोई
असर नहीं होता| उन्हें सहते-सहते
मेरा दिल पत्थर-सा हो गया है, पर
मेरी प्यारी बहन, प्यार से मेरा दिल मोम
हो जाता है| तुमने मुझ पर प्यार बरसाया|
मैं उसे कभी नहीं भूल सकूंगा|'
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