पेचिश बडी आंत का रोग है। इस रोग में बार-बार लेकिन थोडी मत्रा में मल होता है। बडी आंत में सूजन और घाव हो जाते हैं।दस्त होते समय पेट में मरोड के साथ कष्ट होता है। दस्त पतला मद्धम रंग का होता है।दस्त में आंव और रक्त भी मिले हुए हो सकते हैं। रोग की बढी हुई स्थिति में रोगी को ज्वर भी आता है और शरीर में पानी की कमी(डिहाईड्रेशन) हो जाती है।
चूंकि इस रोग में शरीर में पानी की कमी हो जाने से अन्य कई व्याधियां पैदा हो सकती हैं ,अत: सबसे ज्यादा महत्व की बात यह है कि रोगी पर्याप्त जल पीता रहे। यह संक्रामक रोग है और परिवार के अन्य लोगों को भी अपनी चपेट में ले सकता है। बीमारी ज्यादा लंबी चलती रहने पर(क्रोनिक डिसेन्टरी) शरीर का सामान्य स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होता है । कभी कब्ज हो जाती है तो कभी पतले दस्त होने लगते हैं। दस्त में सडांध और दुर्गध होती है। ज्वर १०४ से १०५ फ़ारेनहीट तक पहुंच सकता है।
इस रोग का निम्न वर्णित घरेलू पदार्थों की होम रेमेडीज से निरापद सफ़ल उपचार किया जा सकता है-
१) दो चम्मच धनिया पीसकर एक कप पानी में ऊबालें। यह काढा मामूली गरम हालत में पीयें ऐसा दिन में तीन बार करना चाहिये। कुछ ही दिनो में पेचिश ठीक होगी।
२) अनार के सूखे छिलके दूध में ऊबालें। जब तीसरा भाग रह जाए तो उतारलें। यह नुस्खा दिन में तीन बार प्रयोग करने से पेचिश से छुटकारा मिलता है।
३) हरा धनिया और शकर धीरे-धीरे चबाकर खाएं। पेचिश में फ़ायदा होता है।
४) खट्टी छाछ में बिल्व फ़ल(बिल्ले) का गूदा मसलकर अच्छी तरह मिला दें। यह मिश्रण कुछ दिनों तक प्रयोग करने से पुरानी पेचिश में भी लाभ होते देखने में आया है।
५) अदरक का रस १० ग्राम , गरम पानी में मिलाएं। इसमें एक चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर पी जाएं। कुछ रोज में पेचिश ठीक होगी।
६) कम दवाब पर एनिमा दिन में २-३ बार लेना लाभकारी है। इससे बडी आंत के विषैले पदार्थ का निष्कासन होता है।
७) तेज मसालेदार भोजन पदार्थ बिल्कुल न लें।
८) पेट पर गरम पानी की थेली रखने से पेचश रोग में लाभ होता है।
९) तरल भोजन लेना उपकारी है। कठोर भोजन पदार्थ शने-शने प्रारंभ करना चाहिये।
१०) मूंग की दाल और चावल की बनी खिचडी परम उपकारी भोजन है। इसे दही के साथ खाने से पेचिश शीघ्र नियंत्रित होती है।
११) एक चम्मच मैथी के बीजों का पावडर एक कटोरी दही में मिलाकर सेवन करें। दिन में तीन बार कुछ दिन लेने से पेचिश का निवारण होता है।
१२) कच्चे बिल्व फ़ल का गूदा निकालें इसमें गुड या शहद मिलाकर सेवन करने से कुछ ही दिनों में पेचिश रोग दूर होता है।
१३) ३-४ निंबू का रस एक गिलास पानी में ऊबालें । इसे खाली पेट पीना चाहिये। पेचिश का सफ़ल उपचार है।
१४) २५० ग्राम सौंफ़ के दो भाग करें। एक भाग सौंफ़ को तवे पर भून लें। दोनों भाग आपस में मिला दें। २५० ग्राम शकर को मिक्सर में पावडर बनालें। सौंफ़ और शकर पावडर मिलाकर शीशी में भर लें । यह मिश्रण २ चम्मच दिन में ३-४ बार लेने से पेचिश में उपकार होता है।
१५) इसबगोल की भूसी २ चम्मच एक गिलास दही में मिलाएं। इसमे भूना हुआ जीरा मिलाकर सेवन करना पेचिश रोग में अत्यंत हितकर सिद्ध होता है।
१६) दो भाग हरड और एक भाग लींडी पीपल लेकर मिलाकर पावडर बनालें। २-३ ग्राम पावडर भोजन उपरांत पानी के साथ लें। पेचिश की बढिया दवा है।
१७) दो केले १५० ग्राम दही में मिलाकर दिन में दो बार कुछ रोज लेने से पेचिश रोग नष्ट हो जाता है।पेचिश बडी आंत का रोग है। इस रोग में बार-बार लेकिन थोडी मत्रा में मल होता है। बडी आंत में सूजन और घाव हो जाते हैं।दस्त होते समय पेट में मरोड के साथ कष्ट होता है। दस्त पतला मद्धम रंग का होता है।दस्त में आंव और रक्त भी मिले हुए हो सकते हैं। रोग की बढी हुई स्थिति में रोगी को ज्वर भी आता है और शरीर में पानी की कमी(डिहाईड्रेशन) हो जाती है।
चूंकि इस रोग में शरीर में पानी की कमी हो जाने से अन्य कई व्याधियां पैदा हो सकती हैं ,अत: सबसे ज्यादा महत्व की बात यह है कि रोगी पर्याप्त जल पीता रहे। यह संक्रामक रोग है और परिवार के अन्य लोगों को भी अपनी चपेट में ले सकता है। बीमारी ज्यादा लंबी चलती रहने पर(क्रोनिक डिसेन्टरी) शरीर का सामान्य स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होता है । कभी कब्ज हो जाती है तो कभी पतले दस्त होने लगते हैं। दस्त में सडांध और दुर्गध होती है। ज्वर १०४ से १०५ फ़ारेनहीट तक पहुंच सकता है।
इस रोग का निम्न वर्णित घरेलू पदार्थों की होम रेमेडीज से निरापद सफ़ल उपचार किया जा सकता है-
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२) अनार के सूखे छिलके दूध में ऊबालें। जब तीसरा भाग रह जाए तो उतारलें। यह नुस्खा दिन में तीन बार प्रयोग करने से पेचिश से छुटकारा मिलता है।
३) हरा धनिया और शकर धीरे-धीरे चबाकर खाएं। पेचिश में फ़ायदा होता है।
४) खट्टी छाछ में बिल्व फ़ल(बिल्ले) का गूदा मसलकर अच्छी तरह मिला दें। यह मिश्रण कुछ दिनों तक प्रयोग करने से पुरानी पेचिश में भी लाभ होते देखने में आया है।
५) अदरक का रस १० ग्राम , गरम पानी में मिलाएं। इसमें एक चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर पी जाएं। कुछ रोज में पेचिश ठीक होगी।
६) कम दवाब पर एनिमा दिन में २-३ बार लेना लाभकारी है। इससे बडी आंत के विषैले पदार्थ का निष्कासन होता है।
७) तेज मसालेदार भोजन पदार्थ बिल्कुल न लें।
८) पेट पर गरम पानी की थेली रखने से पेचश रोग में लाभ होता है।
९) तरल भोजन लेना उपकारी है। कठोर भोजन पदार्थ शने-शने प्रारंभ करना चाहिये।
१०) मूंग की दाल और चावल की बनी खिचडी परम उपकारी भोजन है। इसे दही के साथ खाने से पेचिश शीघ्र नियंत्रित होती है।
११) एक चम्मच मैथी के बीजों का पावडर एक कटोरी दही में मिलाकर सेवन करें। दिन में तीन बार कुछ दिन लेने से पेचिश का निवारण होता है।
१२) कच्चे बिल्व फ़ल का गूदा निकालें इसमें गुड या शहद मिलाकर सेवन करने से कुछ ही दिनों में पेचिश रोग दूर होता है।
१३) ३-४ निंबू का रस एक गिलास पानी में ऊबालें । इसे खाली पेट पीना चाहिये। पेचिश का सफ़ल उपचार है।
१४) २५० ग्राम सौंफ़ के दो भाग करें। एक भाग सौंफ़ को तवे पर भून लें। दोनों भाग आपस में मिला दें। २५० ग्राम शकर को मिक्सर में पावडर बनालें। सौंफ़ और शकर पावडर मिलाकर शीशी में भर लें । यह मिश्रण २ चम्मच दिन में ३-४ बार लेने से पेचिश में उपकार होता है।
१५) इसबगोल की भूसी २ चम्मच एक गिलास दही में मिलाएं। इसमे भूना हुआ जीरा मिलाकर सेवन करना पेचिश रोग में अत्यंत हितकर सिद्ध होता है।
१६) दो भाग हरड और एक भाग लींडी पीपल लेकर मिलाकर पावडर बनालें। २-३ ग्राम पावडर भोजन उपरांत पानी के साथ लें। पेचिश की बढिया दवा है।
१७) दो केले १५० ग्राम दही में मिलाकर दिन में दो बार कुछ रोज लेने से पेचिश रोग नष्ट हो जाता है।पेचिश बडी आंत का रोग है। इस रोग में बार-बार लेकिन थोडी मत्रा में मल होता है। बडी आंत में सूजन और घाव हो जाते हैं।दस्त होते समय पेट में मरोड के साथ कष्ट होता है। दस्त पतला मद्धम रंग का होता है।दस्त में आंव और रक्त भी मिले हुए हो सकते हैं। रोग की बढी हुई स्थिति में रोगी को ज्वर भी आता है और शरीर में पानी की कमी(डिहाईड्रेशन) हो जाती है।
चूंकि इस रोग में शरीर में पानी की कमी हो जाने से अन्य कई व्याधियां पैदा हो सकती हैं ,अत: सबसे ज्यादा महत्व की बात यह है कि रोगी पर्याप्त जल पीता रहे। यह संक्रामक रोग है और परिवार के अन्य लोगों को भी अपनी चपेट में ले सकता है। बीमारी ज्यादा लंबी चलती रहने पर(क्रोनिक डिसेन्टरी) शरीर का सामान्य स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होता है । कभी कब्ज हो जाती है तो कभी पतले दस्त होने लगते हैं। दस्त में सडांध और दुर्गध होती है। ज्वर १०४ से १०५ फ़ारेनहीट तक पहुंच सकता है।
इस रोग का निम्न वर्णित घरेलू पदार्थों की होम रेमेडीज से निरापद सफ़ल उपचार किया जा सकता है-
इस रोग का निम्न वर्णित घरेलू पदार्थों की होम रेमेडीज से निरापद सफ़ल उपचार किया जा सकता है-