एक बार गर्मी में मौसम में एक मजदुर
को एक सेठ के दूकान पर बहुत
को एक सेठ के दूकान पर बहुत
भारी ,वजनी सामान लेकर
जाना था बेचारे मजदुर
का चिलचिलाती धुप , गर्मी और प्यास के
कारण बुरा हाल हो रहा था ....बहुत दूर
तक चलने के बाद आखिर दूकान आ गयीऔर
सारा सामान उतार कर उस मजदुर को कुछ
राहत मिली तब भी उसे बहुत जोरो से
प्यास लगी थी ..उसने सेठजी को कहा...'
सेठ जी थोडा पानी पिला दो...' सेठ आराम
से अपने गद्दी पर बैठे ठंडी हवा का आनंद
उठा रहे थे ,उन्होंने इधर-उधर देखा और
अपने नौकर को आवाज लगायी ...काफी देर
तक नौकर नहीं आया ..., मजदुर ने फिर
कहा सेठ जी पानी पिला दो ......, सेठ जी ने
कहा रुको अभी मेरा आदमी आये तो वह तुम्हे
पानी पिलादेगा ......कुछ और समय बिता...
बार -बार मजदुर की नजरे ठन्डे पानी के
मटके पर जा रही थी ... प्यास से बेहाल
उसने अपनी सूखे होठो पर जुबान फेरते हुए
कहा सेठ जी बहुत प्यास
लगी है ...पानी पिला दो ... सेठ
जी झल्ला कर उसे डांटने लगे..थोडा रुक
जा न अभी मेरा आदमी आएगा और
पिला देगा तुझे पानी ....प्यास से बेहाल
मजदुर बोला ....." सेठ जी कुछ समय के लिए
आप ही " आदमी " बन जाओ न .
जाना था बेचारे मजदुर
का चिलचिलाती धुप , गर्मी और प्यास के
कारण बुरा हाल हो रहा था ....बहुत दूर
तक चलने के बाद आखिर दूकान आ गयीऔर
सारा सामान उतार कर उस मजदुर को कुछ
राहत मिली तब भी उसे बहुत जोरो से
प्यास लगी थी ..उसने सेठजी को कहा...'
सेठ जी थोडा पानी पिला दो...' सेठ आराम
से अपने गद्दी पर बैठे ठंडी हवा का आनंद
उठा रहे थे ,उन्होंने इधर-उधर देखा और
अपने नौकर को आवाज लगायी ...काफी देर
तक नौकर नहीं आया ..., मजदुर ने फिर
कहा सेठ जी पानी पिला दो ......, सेठ जी ने
कहा रुको अभी मेरा आदमी आये तो वह तुम्हे
पानी पिलादेगा ......कुछ और समय बिता...
बार -बार मजदुर की नजरे ठन्डे पानी के
मटके पर जा रही थी ... प्यास से बेहाल
उसने अपनी सूखे होठो पर जुबान फेरते हुए
कहा सेठ जी बहुत प्यास
लगी है ...पानी पिला दो ... सेठ
जी झल्ला कर उसे डांटने लगे..थोडा रुक
जा न अभी मेरा आदमी आएगा और
पिला देगा तुझे पानी ....प्यास से बेहाल
मजदुर बोला ....." सेठ जी कुछ समय के लिए
आप ही " आदमी " बन जाओ न .
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