सरकार ने विदेशी कंपनियों को बीमा के क्षेत्र में भी बुला लिया है . सेवा के क्षेत्र में अमेरिकन और यूरोपियन कम्पनियां घुस गयी है .
- मल्होत्रा समिति की सिफारिश पर ये काम हुआ . उस समय हमारे वित्त मंत्री थे चिदंबरम महोदय !
-१९९४ में अमेरिकन राजदूत फ्रेंक विजनर ने कहा की जिस दिन अमेरिकन बीमा कम्पनियां भारत में आ जायेंगी ; अमेरिकन साम्राज्यवाद का झंडा भारत में छा जाएगा . इसलिए ये भारत के स्वाभिमान , संप्रभुता और सम्मान की लड़ाई है .
- उस समय विपक्ष ने ये विधेयक पारित नहीं होने दिया .
- पर बड़े दुःख की बात है की उसी विपक्ष ने जब सत्ता की कमान संभाली तब इन्ही विदेशी कंपनियों को बीमा के क्षेत्र में बुला लिया .जी हाँ ये काम NDA सरकार ने किया .
- बीमा एक ऐसा क्षेत्र है जहां पूंजी निवेश , तकनीक आदि की ज़रुरत नहीं होती और मुनाफ़ा बहुत है .
- ५ करोड़ की पूंजी से १ लाख २५ हज़ार करोड़ तक पहुँचने वाली LIC को देख विदेशी लार टपकाने लगे .
- LIC ने विद्युत् के क्षेत्र में १० हज़ार करोड़ का निवेश किया . इसी तरह पानी , हाउसिंग जैसे जन सामान्य की सुविधाओं पर LIC ने निवेश किया .इसका ९५ % मुनाफ़ा निवेशकों में बट जाता है .
- हमारे देश की घरेलु बचत घर में ही यानी की देश में ही रहे इसके लिए देशी बीमा कंपनी ही होना चाहिए . ये देश के विकास में काम आयेगा .
- स्वास्थ्य के लिए बीमा क्षेत्र में भी अंधाधुंध विदेशी कम्पनियां घुस आई है . हेल्थ चेक अप्स और गलत जीवन शैली को प्रोत्साहित कर जन सामान्य के मन में डर पैदा कर ये कम्पनियां दोनों हाथों से मुनाफा लुट रही है .
- देश के विकास के लिए हमें अपनी बचत स्वदेशी बीमा कंपनी और बैंकों के साथ ही रखना चाहिए .
- हमें अपने अगले प्रधान मंत्री से ये उम्मीद है की वे GAT , WTO समझौता रद्द करे .
- राजीव भाई का ये संकल्प जो अमेरिकन और यूरोपियन साम्राज्यवाद के खिलाफ है , वो हम अपने व्यक्तिगत जीवन में विदेशी कंपनियों से दूर रह कर पूरा कर सकते है .
- इस लिस्ट में जिनके आगे ब्रेकेट में पब्लिक सेक्टर लिखा है वहीँ भारतीय बीमा कम्पनियां है .
http://en.wikipedia.org/wiki/ List_of_insurance_companies_in_ India
- मल्होत्रा समिति की सिफारिश पर ये काम हुआ . उस समय हमारे वित्त मंत्री थे चिदंबरम महोदय !
-१९९४ में अमेरिकन राजदूत फ्रेंक विजनर ने कहा की जिस दिन अमेरिकन बीमा कम्पनियां भारत में आ जायेंगी ; अमेरिकन साम्राज्यवाद का झंडा भारत में छा जाएगा . इसलिए ये भारत के स्वाभिमान , संप्रभुता और सम्मान की लड़ाई है .
- उस समय विपक्ष ने ये विधेयक पारित नहीं होने दिया .
- पर बड़े दुःख की बात है की उसी विपक्ष ने जब सत्ता की कमान संभाली तब इन्ही विदेशी कंपनियों को बीमा के क्षेत्र में बुला लिया .जी हाँ ये काम NDA सरकार ने किया .
- बीमा एक ऐसा क्षेत्र है जहां पूंजी निवेश , तकनीक आदि की ज़रुरत नहीं होती और मुनाफ़ा बहुत है .
- ५ करोड़ की पूंजी से १ लाख २५ हज़ार करोड़ तक पहुँचने वाली LIC को देख विदेशी लार टपकाने लगे .
- LIC ने विद्युत् के क्षेत्र में १० हज़ार करोड़ का निवेश किया . इसी तरह पानी , हाउसिंग जैसे जन सामान्य की सुविधाओं पर LIC ने निवेश किया .इसका ९५ % मुनाफ़ा निवेशकों में बट जाता है .
- हमारे देश की घरेलु बचत घर में ही यानी की देश में ही रहे इसके लिए देशी बीमा कंपनी ही होना चाहिए . ये देश के विकास में काम आयेगा .
- स्वास्थ्य के लिए बीमा क्षेत्र में भी अंधाधुंध विदेशी कम्पनियां घुस आई है . हेल्थ चेक अप्स और गलत जीवन शैली को प्रोत्साहित कर जन सामान्य के मन में डर पैदा कर ये कम्पनियां दोनों हाथों से मुनाफा लुट रही है .
- देश के विकास के लिए हमें अपनी बचत स्वदेशी बीमा कंपनी और बैंकों के साथ ही रखना चाहिए .
- हमें अपने अगले प्रधान मंत्री से ये उम्मीद है की वे GAT , WTO समझौता रद्द करे .
- राजीव भाई का ये संकल्प जो अमेरिकन और यूरोपियन साम्राज्यवाद के खिलाफ है , वो हम अपने व्यक्तिगत जीवन में विदेशी कंपनियों से दूर रह कर पूरा कर सकते है .
- इस लिस्ट में जिनके आगे ब्रेकेट में पब्लिक सेक्टर लिखा है वहीँ भारतीय बीमा कम्पनियां है .
http://en.wikipedia.org/wiki/
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